tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post2200522923578804041..comments2023-09-12T03:20:50.545-07:00Comments on अपना घर: साथी की तारीफ करेंआभाhttp://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-14271534519590373602008-04-24T01:26:00.000-07:002008-04-24T01:26:00.000-07:00बहुत अच्छी बात कही आपने. साथी की तारीफ़ करना एक अच्...बहुत अच्छी बात कही आपने. साथी की तारीफ़ करना एक अच्छी बात है. इस से जीवन में मधुरता आती है. सच पूछिये तो किसी की भी तारीफ़ करने से चूकना नहीं चाहिए. दूसरों की तारीफ़ आप को सब का प्रिय बनाती है. पर किसी तंग निजी स्वार्थ को ले कर की गई तारीफ़ अंततः नुकसान ही पंहुचाती है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-36277280442860347162008-04-22T00:38:00.000-07:002008-04-22T00:38:00.000-07:00मैं मानती हूँ कि छोटी छोटी तारीफें ,प्रेम के शब्द ...मैं मानती हूँ कि छोटी छोटी तारीफें ,प्रेम के शब्द इंसान को नया जोश नयी ऊर्जा प्रदान करते हैं!बहुत सही कहा आपने...pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-9067498634570239502008-04-10T23:00:00.000-07:002008-04-10T23:00:00.000-07:00मेरा ऐसा मानना है की अब हालत बेहतर हो रहे है ओर प...मेरा ऐसा मानना है की अब हालत बेहतर हो रहे है ओर पुरूष स्त्री के सभी कामो मे हाथ बटाने लगे है ,मैं ओर मेरे दोस्त जिनकी कामकाजी पत्निया है आज भी अपने बेटे को नहलाते दुलाते खाना खिलते है ,अपने अपने profeesion मे जिसको जैसा समय मिलता है वो उसी तरह से समय दे देता है....शायद आज की पीढ़ी की यही सोच है....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-19734474634982240682008-04-10T19:12:00.000-07:002008-04-10T19:12:00.000-07:00बहुत खूब! बहुत अच्छा लिखा। पढ़कर मन खुश हो गया। आपक...बहुत खूब! बहुत अच्छा लिखा। पढ़कर मन खुश हो गया। आपकी तारीफ़ करता हूं कि इतनी सहजता से अपनी बात कही।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-90946247175886823482008-04-10T10:06:00.000-07:002008-04-10T10:06:00.000-07:00प्रेम और क्षमा दोनों में हों तो जीवन का रूप ही बदल...प्रेम और क्षमा दोनों में हों तो जीवन का रूप ही बदल जाए बशर्ते कि<BR/> कमज़ोरी का रूप न ले.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-26944456472786000962008-04-10T08:04:00.000-07:002008-04-10T08:04:00.000-07:00बिल्कुल सत्य विचार… किंतु बात रखना भी आवश्यक है…।बिल्कुल सत्य विचार… किंतु बात रखना भी आवश्यक है…।Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-31592150537245150112008-04-10T04:50:00.000-07:002008-04-10T04:50:00.000-07:00प्रेम बड़ी चीज़ है.. क्षमा उस से भी बड़ी.. प्रेम में ...प्रेम बड़ी चीज़ है.. क्षमा उस से भी बड़ी.. प्रेम में व्यक्ति कितने अपराधों को क्षमा कर देता है.. प्रेम दोनों तरफ़ से ऐसा हो तो क्या कहना.. बना रहे.. आमीन!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-86030285426456167152008-04-10T03:56:00.000-07:002008-04-10T03:56:00.000-07:00:) क्या कहूं, ऐसे गंभीर गंभीर मुद्दे देखकर मै तो ख...:) <BR/><BR/>क्या कहूं, ऐसे गंभीर गंभीर मुद्दे देखकर मै तो खिसक लेना ही पसंद करता हूं लेकिन यहां से खिसक भी नई सकता न आसानी से!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-85417907778322712632008-04-10T02:03:00.000-07:002008-04-10T02:03:00.000-07:00हर कोई बुद्ध नहीं होता और हर कोई बोधिसत्व भी नहीं....हर कोई बुद्ध नहीं होता और हर कोई बोधिसत्व भी नहीं. बांकी 'मेरे' पर थोड़ा हक 'हमारा' भी बनता है इस बात को मानने के लिये आभार.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-76821475662453587062008-04-10T01:46:00.000-07:002008-04-10T01:46:00.000-07:00वैसे आभा जी, एक बात कहना चाहूंगा कि मेरे घर में मु...वैसे आभा जी, एक बात कहना चाहूंगा कि मेरे घर में मुझसे अच्छा बटन और कोई नहीं टांकता है.. शायद शादी के बाद भी ये भूमिका निभानी परेगी.. शायद क्या सच में.. :D और मुझे कोई गिला ना होगा..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-38113676454850703272008-04-10T01:20:00.000-07:002008-04-10T01:20:00.000-07:00अफलातून भाई सो तो है ही...मैं तो भूल ही गई थी यह ब...अफलातून भाई सो तो है ही...मैं तो भूल ही गई थी यह बात...आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-52049132149330084982008-04-10T01:18:00.000-07:002008-04-10T01:18:00.000-07:00'मेरे बोधिसत्व', हमारे भी हैं !'मेरे बोधिसत्व', हमारे भी हैं !अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-68517273149948343882008-04-10T01:17:00.000-07:002008-04-10T01:17:00.000-07:00मैं भी मानती हूँ कि हर किसी का एक रोल होता है...सम...मैं भी मानती हूँ कि हर किसी का एक रोल होता है...समाज में घर में...परिवार में..हाँ.बटन टाँकने भी एक गुण है...जिसको मैं कह रही हूँ कि अपनी क्षमता को पहचाने.....हाँ यह जरूर है कि क्या शहर क्या गाँव गुण और शक्ति को भी घुट कर मरना पड जाता है...<BR/>और एक बात यह भी है कि बिना सामन्जस्य के तो नहीं चलेगा यह जीवन....सामन्जस्य को समझौता भी कह सकती हैं...<BR/>रहीम का दोहा है<BR/>रहिमन देख बड़ेन को लघु न दिजिए डारि<BR/>जहाँ काम आवै सुई उहा कहाँ तलवारि । इसे भी याद रखें ।आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-71229664501438901752008-04-10T00:45:00.000-07:002008-04-10T00:45:00.000-07:00आभा जी ,आपका और बोधिसत्व जी का यह साथ और् सहयोग बन...आभा जी ,<BR/>आपका और बोधिसत्व जी का यह साथ और् सहयोग बना रहे । यह तो बहुत अच्छी बात है ।इसके लिए बोधिसत्व जी की भी प्रशंसा करनी होगी ।<BR/>लेकिन लगता है कि मेरी उस पोस्ट को बहुत से लोगों ने थोडा गलत दिशा मे ले लिया। <BR/>आपने लिखा है -<BR/>"बटन न टाँकने जैसी सस्ती बातें छोड़ कर एक दूसरे का सहयोग "<BR/><BR/>और वहीं ,उस पोस्ट के नीचे अनूप भार्गव जी का कमेंट है कि -"...समस्या निश्चित रूप से सिर्फ बटन न टाँकना नही हो सकती ....."<BR/>शायद वे ही समझे थे कि इशारा किस ओर है ।<BR/><BR/>बटन टाँकना कोई सस्ती बात न होकर एक खास प्रकार के रोल और अपेक्षित व्यवहारों का प्रतीक भर है । जिसे तोड़ने की क्षमता हर स्त्री धीरे धीरे जुटाती है ।<BR/>मुझे व्याख्या करनी पड़ी , इसके लिए मैं अपनी अस्पष्ट लेखनी को ही कसूरवार ठहराती हूँ । क्षमा करें ।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.com