tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post5551904835892317101..comments2023-09-12T03:20:50.545-07:00Comments on अपना घर: जैसे स्वर्ग की अप्सरा थी अब घरेलू मक्खी हूँआभाhttp://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-66866113410200598442007-11-19T12:07:00.000-08:002007-11-19T12:07:00.000-08:00आभा जी आपके घर में पहली बार आना हुआ लेकिन अपना सा ...आभा जी आपके घर में पहली बार आना हुआ लेकिन अपना सा घर ही लगा. अपनी पहचान से मोह और बच्चों से ममता.... इसमें से ममता ही चुनते हैं. हमने भी कुछ ऐसा ही किया और लगी लगाई नौकरी झट से छोड़ कर घर बैठ गए. ब्लॉग लिखने से पहले तक थोड़ा बेचैन थे लेकिन अब एक नए अनुभव के साथ जी रहे हैं. दिया जलता रहा नवरात्रि पर बोधि जी की पोस्ट अभी भी याद है और आपकी दिया बाती की रोशनी भी छाई सी हुई है यहाँ... <BR/>(लम्बे समय तक अध्यापन में रहने वाले शायद ज़्यादा बातूनी होते हैं..क्षमा करिएगा) :)मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-4019378944530639182007-11-10T19:18:00.000-08:002007-11-10T19:18:00.000-08:00बहुत जटिल काम है अपने साथ हुये को बयान कर पाना। आप...बहुत जटिल काम है अपने साथ हुये को बयान कर पाना। आपकी सारी बातें मैं महसूस कर सकता हूं। मुम्बई जैसे शहर के खर्चे, लगी-लगाई नौकरी छोड़ना फिर परेशान होने पर खीझना। आपने बहुत अच्छा लिखा। हम जब खीझते हैं तो उस समय जो मन आता है बोल जाते हैं। कोई डायलाग लिखने वाला नहीं होता जो लिखकर दे कि ये बोलो इफ़ेक्टिव रहेगा। दुआ है कि आप समय मिलने पर फ़िर कोई मन माफ़िक काम कर सकें। बच्चे बहुत समझदार होते हैं। सब समझ जायेंगे। शुभकामनायें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-91705963952753704992007-10-31T20:41:00.000-07:002007-10-31T20:41:00.000-07:00बेजी जी माफी मागने का कोई तरीका नहीं होता माफी माँ...बेजी जी माफी मागने का कोई तरीका नहीं होता माफी माँगे और सहज रहें...<BR/>संजीत भाई आप सलाह दे सकते हैं...<BR/>मदान जी और समीर भाई आपकी बतों से सहमत हूँ.....पर मैंने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया है....आभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-19289370888939677982007-10-31T05:43:00.000-07:002007-10-31T05:43:00.000-07:00बड़ी उलझन भरी बात है.मख्खी बनना कुछ उचित प्रतीत नही...बड़ी उलझन भरी बात है.<BR/><BR/>मख्खी बनना कुछ उचित प्रतीत नहीं होता.<BR/><BR/>एक माँ, एक गृहणी, एक पत्नी का दरजा तो स्वर्ग की अप्सरा से कहीं अधिक ऊँचा है. गर्व का विषय है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-29317033235803600732007-10-31T05:13:00.000-07:002007-10-31T05:13:00.000-07:00आप माँ हैं और ये घरेलू मक्खी शब्द आपके आभा मंडल को...आप माँ हैं और ये घरेलू मक्खी शब्द आपके आभा मंडल को थोड़ा सा कम कर रहा है, क्रपया अपने आपको तुच्छ वस्तु ना समझें क्योंकि बालमन बिन माँ-बाप के प्यार बिन अधूरा है. आपके बेटे के रात में उठकर रोना जायज है और आपका नौकरी छोड़ देना आपका प्रथम कर्तव्य था जिसे आपने निर्वाह किया. तो आप् इसमें मक्खी कैसे बन गयीं ये हमें समझ नहीं आ रहा है.kamlesh madaanhttps://www.blogger.com/profile/14947827548102778374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-48416099740817472162007-10-31T02:18:00.000-07:002007-10-31T02:18:00.000-07:00बच्चों की पढाई का आपका भागीरथ प्रयास ……………।बहरहाल ...बच्चों की पढाई का आपका भागीरथ प्रयास ……………।<BR/>बहरहाल देर-सवेर नतीजा जरूर आयेगा।<BR/>उम्मीद पर दुनिया कायम है।Atul Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/13418818413795828946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-68458764602572900262007-10-31T01:36:00.000-07:002007-10-31T01:36:00.000-07:00एक हृदयस्पर्शी लेख लिखा है आपने जिसे सभी माता पिता...एक हृदयस्पर्शी लेख लिखा है आपने जिसे सभी माता पिता समझ सकेंगे । वैसे मैं आपको यह कह सकती हूँ कि माफी माँगना तो माता पिता होने का एक भाग ही है और वह तो माँग ही लीजिये । चिन्ता करने का अधिक कारण नहीं है बच्चे आमतौर पर हमें माफ कर ही देते हैं । <BR/>घुघूती बासूतीUnknownhttps://www.blogger.com/profile/17708908112134724997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-45353623965042207742007-10-31T01:32:00.000-07:002007-10-31T01:32:00.000-07:00आपको सलाह दे सकूं ऐसा तो नही हूं पर आभारी ज़रुर हूं...आपको सलाह दे सकूं ऐसा तो नही हूं पर आभारी ज़रुर हूं कि आपके ऐसे लेखन से महिला मन को जानने- समझने का मौका मिलता है!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-55035976303698833812007-10-30T22:37:00.000-07:002007-10-30T22:37:00.000-07:00आपकी उलझन वाजिब है और फैसला काबिले तारीफ। मानस जैस...आपकी उलझन वाजिब है और फैसला काबिले तारीफ। मानस जैसी मनःस्थिति से मैं भी अपने बचपन में गुजरी हूं।हांलाकि बडा भाई था साथ खेलने वाला फिर भी स्कूल से लौटने पर मां का ना मिलना व्यथित करता था। तभी तय किया था नौकरी कभी नहीं करुंगी।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-64268560556562053622007-10-30T21:35:00.000-07:002007-10-30T21:35:00.000-07:00कोई माफी माँगने का इन्नोवेटिव तरीका हो तो हमें भी ...कोई माफी माँगने का इन्नोवेटिव तरीका हो तो हमें भी बताइये....आये दिन जब तब जरूरत पड़ती है...<BR/><BR/>बेटा याद रखेगा तो बराबर पढ़ने लगेगा....आप मन लगाकर दिवाली की तैयारी कीजिये....<BR/><BR/>वैसे घरेलू मक्खी बनना इतना आसान काम नहीं।<BR/>:))Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16964389992273176028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-60536917279671347812007-10-30T21:16:00.000-07:002007-10-30T21:16:00.000-07:00माँ की डांट में भी प्यार ही छिपा होता है.इसलिये इस...माँ की डांट में भी प्यार ही छिपा होता है.इसलिये इस डाँट का बुरा ना माने.मानस भी धीरे धीरे यह बात समझ जायेगा.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-52968911195138439962007-10-30T21:01:00.000-07:002007-10-30T21:01:00.000-07:00दस चीज़े चाहना एक साथ, मनुष्य का धर्म है। मिलती है ...दस चीज़े चाहना एक साथ, मनुष्य का धर्म है। मिलती है या नहीं यह जीवन की जटिलता! जैसे मानस ने निश्छलता से अपनी इच्छा व्यक्त की, वैसे ही आपने भे दिल का गुबार निकाल दिया.. ठीक ही तो है। लिखती रहिये!Tanuhttps://www.blogger.com/profile/10240451250814020262noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-41003978114115002442007-10-30T20:56:00.000-07:002007-10-30T20:56:00.000-07:00उफ़ ये जटिलतायें..उफ़ ये जटिलतायें..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com