tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post8776608115538225545..comments2023-09-12T03:20:50.545-07:00Comments on अपना घर: बिन कहे भी रहा नही जाएआभाhttp://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-58700538556604490052008-04-16T03:02:00.000-07:002008-04-16T03:02:00.000-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-81579180016713069822008-02-14T05:06:00.000-08:002008-02-14T05:06:00.000-08:00मानस को आपके नौकरी करने या ब्लॉगिंग करने से जो दि...मानस को आपके नौकरी करने या ब्लॉगिंग करने से जो दिक्कत होती है, या अकेला लगता है, या कि उस पर कम ध्यान दिया जा रहा है, ऐसा कुछ, वह बोधि की नौकरी या ब्लॉगिंग से नहीं लगता होगा। बच्चे भी मां से ही उम्मीद करते हैं कि वह घर को, उनको ज्यादा वक्त दे। इतना बड़ा होते-होते उनके दिमागों में भी मां और पिता के कार्यक्षेत्रों का स्पष्ट विभाजन हो चुका होता है। पापा घर के बाहर, या घर में भी हों तो फोन पर, टीवी के सामने, या अपनी लिखने की मेज पर, या किसी किताब के साथ। मां, रसोई में, खाना बनाती, झाडू लगाती, उन्हें नहलाती-धुलाती, प्यार करती, सुलाती, घर संभालती। मानस या भानी को उससे उतनी दिक्कत नहीं होगी, अगर बोधि घर पर बिताए आठ घंटों में से छ: घंटा कम्प्यूटर के सामने गुजारे। <BR/>मुझे याद है, जब मैं छोटी थी तो ऐसी सारी अपेक्षाएं, मेरी मां से ही होती थीं, पापा से नहीं। मुझे कभी नहीं लगा कि पापा को टिफिन बनाकर देना चाहिए और ऐसा न करके अगर वो अपने कॉमरेड साथियों के साथ मार्क्सवाद पर बहस करने में लगे हैं, तो कुछ गलत कर रहे हैं। लेकिन मां ऐसा करने लगें, तो लगता है, अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहीं। बच्चों के दिमाग भी तो कंडीशंड होते हैं। भानी समझेगी इसे, लेकिन बड़ी होने के बाद।मनीषा पांडेhttps://www.blogger.com/profile/01771275949371202944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-33015332541606101112008-01-31T00:29:00.000-08:002008-01-31T00:29:00.000-08:00मैं अपने आपको यदि मानस के स्थान पर देखता हूं तो म...मैं अपने आपको यदि मानस के स्थान पर देखता हूं तो मानस मुझे सही लगता है, आखिर मैं अपनी मां से हमेशा यही चाहता था कि वो हमेशा मेरे साथ हो, मेरा ध्यान रखे, लेकिन अब मैं थोड़ा बड़ा हो गया हूं, उम्र 25 वर्ष, ऐसे में अब लगता है कि मेरी मां तो हमेशा मेरे और परिवार के लिए ही जीती हैं, न कि अपने लिए, एक दिन मानस भी समझ जाएगाAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-18821141269112653462008-01-25T19:15:00.000-08:002008-01-25T19:15:00.000-08:00मानस के स्कूल से लौटने से पहले लिखा जाए, वैसे मानस...मानस के स्कूल से लौटने से पहले लिखा जाए, वैसे मानस का भी अपना ब्लोग हो आइडिया बुरा नहींAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-43134915162088642342008-01-25T07:30:00.000-08:002008-01-25T07:30:00.000-08:00mothers feelings may be i will get them when i hv ...mothers feelings may be i will get them when i hv my own kid.still long time for that but.nice blog.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-17041316570760197692008-01-25T03:43:00.000-08:002008-01-25T03:43:00.000-08:00मसला सिर्फ टाइम मैनेजमेंट का है। अन्यथा मेरा घर और...मसला सिर्फ टाइम मैनेजमेंट का है। अन्यथा मेरा घर और अपना घर में कोई टकराव नहीं है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-24139078641955741312008-01-25T02:43:00.000-08:002008-01-25T02:43:00.000-08:00आभा मानस की शिकायत जायज़ है ।जब तुमने अपनी नौकरी इन...आभा मानस की शिकायत जायज़ है ।जब तुमने अपनी नौकरी इन दोनों के लिये छोडी तो थोडा सा वक्त का संयोजन भी उनके लौटने के टाइम से कर लो। हां लिखते जरुर रहना । हमें इन्तजार रहेगा।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-60066811721537157872008-01-25T02:41:00.000-08:002008-01-25T02:41:00.000-08:00एक तीसरा ब्लॉग भी हो - मानस का ।एक तीसरा ब्लॉग भी हो - मानस का ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-19870602464438494372008-01-25T02:24:00.000-08:002008-01-25T02:24:00.000-08:00तो मानस का कहना है कि उसे पूर्ण अटेंशन दिया जाए जि...तो मानस का कहना है कि उसे पूर्ण अटेंशन दिया जाए जितना उसे मिल रहा है वह उसे कम महसूस हो रहा है।<BR/>मानस भैया ही नही हम सभी अपनी मां से यही उम्मीद करते हैं कि वह सिर्फ़ हमारी मां बनकर ही रहे उसका अपना कोई एक अलग स्वतंत्र व्यक्तित्व ही न रहे, क्योंकि जिस उम्र में मानस है उस उम्र में यह कल्पना ही नही की जा सकती कि मां का अलग या मां होने के अलावा और व्यक्तित्व भी हो सकता है या पिता का भी। <BR/><BR/>सो मानस भाई साहब तो अपनी जगह सही है, बस जैसा कि ज्ञानदत्त जी ने कहा टाईम मैनेजमेंट।<BR/><BR/>वैसे अपन की सलाह यह है कि बस कुछ पल चुराकर बीच बीच मे ऐसे ही इस घर में भी झांक जाया कीजिए!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-15215154745808394972008-01-25T01:48:00.000-08:002008-01-25T01:48:00.000-08:00मानस बच्चा.. माँ तुम्हारी माँ होने के अलावा भी बहु...मानस बच्चा.. माँ तुम्हारी माँ होने के अलावा भी बहुत कुछ है.. इसे समझो! जैसे तुम सिर्फ़ अकेले उसके बेटे भर नहीं हो.. तुम्हारा जैसे एक स्वतंत्र जीवन है वैसे उसे भी एक स्वतंत्र जीवन का अधिकार है।अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-72754629777506049512008-01-25T01:15:00.000-08:002008-01-25T01:15:00.000-08:00अरे यह क्या? बच्चों पर ब्लॉग तो क्या, किसी भी विषय...अरे यह क्या? बच्चों पर ब्लॉग तो क्या, किसी भी विषय से ज्यादा वरीयता होनी चाहिये। <BR/>But just look at time management. You may still find time...Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com