tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post8866769491304057816..comments2023-09-12T03:20:50.545-07:00Comments on अपना घर: लोक सभा टीवी पर मेरी कविताआभाhttp://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-14962642394462967052009-07-04T23:51:20.750-07:002009-07-04T23:51:20.750-07:00चार मई के बाद से अब तक कोई पोस्ट नहीं।
जे तो गलत ब...चार मई के बाद से अब तक कोई पोस्ट नहीं।<br />जे तो गलत बात है भई।<br />इतनी ज्यादा व्यस्तता भी ठीक नहीं।<br />चलिए कुछ लिखिए जल्दी सेSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-40381950464377079832009-06-16T23:41:40.494-07:002009-06-16T23:41:40.494-07:00apanaa mail address toh dijiye ... bodhsattav ji...apanaa mail address toh dijiye ... bodhsattav ji ka blog khulataa hi nahinn... . itani dooree mahsoos ho rahee hai ki kyaa kahenn .. samaadhaan jaldi dijiye...प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-73013499142570080852009-05-13T01:40:00.000-07:002009-05-13T01:40:00.000-07:00मन में यह बात अभी भी बैठी है कि लिखने से कुछ बदलेग...मन में यह बात अभी भी बैठी है कि लिखने से कुछ बदलेगा कि नहीं। किंतु लिखती जा रही हूँ। लगातार ।<br />apne uttar khud hi de diya lkhte rhiye subah khushnuma ho javegi .<br />bhut acha likhti hai ap.mene phli bar hi pdha.<br />shobhanaशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-57193134954969986972009-05-06T19:29:00.000-07:002009-05-06T19:29:00.000-07:00अच्छी रचना है। आपकी चिन्ता भी जायज है। यह भी सच है...अच्छी रचना है। आपकी चिन्ता भी जायज है। यह भी सच है कि स्थितियाँ लगातार बदल रहीं हैं।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-75791686472209203712009-05-06T07:10:00.000-07:002009-05-06T07:10:00.000-07:00बहुत अच्छा लिखा है! कविता नहीं.. वह तो पहले पढ़ी-सु...बहुत अच्छा लिखा है! कविता नहीं.. वह तो पहले पढ़ी-सुनी हुई है, यह पोस्ट। तुम्हारे लिखने में एक सधापन विकसित हुआ है। जो भी है.. बहुत अच्छा है। <br />शुभकामनाएं.. और अच्छा लिखो!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-87798528037401586762009-05-04T23:19:00.000-07:002009-05-04T23:19:00.000-07:00पूरी कविता जैसे एक दस्तावेज हो और अपने हर शब्द में...पूरी कविता जैसे एक दस्तावेज हो और अपने हर शब्द में दर्ज किये हो स्त्री का संघर्ष अपने स्त्री होने से लगाकर स्त्री बने रहने का।<br /><br />अंतिम बंद में तो जैसे सच्चाई को उधेड़ कर रख दिया है, दिल को छूती हुई पंक्तियाँ :-<br /><br /><br />आगे निकलना तो दूर<br />जिंदगी की भागम भाग में<br />बराबरी तक के लिए<br />घिसटते हुए<br />दौड़ रही हैं पीछे-पीछे<br />सम्हालती हुई गर्भ को।<br /><br />और उनको सम्हालने के लिए<br />कोई भी रुक नहीं रहा है<br />फिलहाल।<br /><br />मेरे विचारों में यह कविता सिर्फ पढी ही नही बल्कि गुनी जाना चाहिये दम्भी समाज में अपने व्यवहार और आचरण में।<br /><br />कविता के लोकसभा में पाठन पर हार्दिक बधाईयाँ ।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-47814308875531515322009-05-04T09:13:00.000-07:002009-05-04T09:13:00.000-07:00बदलाव तो है। बाकी ओवरनाइट क्रान्ति तो सम्भव नहीं ल...बदलाव तो है। बाकी ओवरनाइट क्रान्ति तो सम्भव नहीं लगती।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-49667336653073918222009-05-04T09:11:00.000-07:002009-05-04T09:11:00.000-07:00लिखने से दुनिया बदलेगी कि नहीं,मैं चिंता से मुक्त ...लिखने से दुनिया बदलेगी कि नहीं,मैं चिंता से मुक्त होकर लिखता हूं और न कभी इस बहस में पड़ता हूं कि लिखने से कुछ बदल सकते हैं कि नहीं। मैं उसी तरह लिखता हूं जिस तरह से गांव में बैठा कोई व्यक्ति गुड़ बना रहा होता है, नोएडा में कोई जूते बना रहा होता और कपड़ा मिलों में कोई कपड़ा बना रहा होता है। विमर्श की दुनिया में इसे कल्चरल प्रोडक्शन कहते हैं।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-53767370758889791912009-05-04T08:58:00.000-07:002009-05-04T08:58:00.000-07:00खने के लिए हम लिख रहें हैं ..भले कुछ बदले या नही. ...खने के लिए हम लिख रहें हैं ..भले कुछ बदले या नही. आप लिखती रहें यही अनुरोध हैL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-79698730213472672502009-05-04T05:13:00.000-07:002009-05-04T05:13:00.000-07:00संवेदनशीलता इसी तरह बचाए रखना है. फिलहाल इसे ही प्...संवेदनशीलता इसी तरह बचाए रखना है. फिलहाल इसे ही प्राप्य माना जाए.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-71413003840348327672009-05-04T05:00:00.000-07:002009-05-04T05:00:00.000-07:00शोभा जी आप लिखें क्यूँ की लिखने से अच्छा और कोई का...शोभा जी आप लिखें क्यूँ की लिखने से अच्छा और कोई काम नहीं...मन हल्का हो जाता है...खुद के लिए लिखें...दूसरे अपने आप पढेंगे...आप की रचना किसी कथा देश, वागर्थ या ज्ञानोदय में छपी इसलिए अच्छी नहीं है...बल्कि वो अच्छी ही थी इसलिए छपी है...ऐसा सोचें...और अगर ना छपती तो भी उतनी ही अच्छी रहती...अगर लिख कर आपको ख़ुशी मिलती है तो लेखन का काम पूरा हुआ...मेरा तो ऐसा ही मानना है...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-60576656191587515342009-05-04T03:29:00.000-07:002009-05-04T03:29:00.000-07:00जानकर बहुत अच्छा लगा ।जानकर बहुत अच्छा लगा ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-20059927580215681502009-05-04T02:59:00.000-07:002009-05-04T02:59:00.000-07:00सचमुच स्त्रियाँ बदल रही हैं!!.........और वह भी घरो...सचमुच स्त्रियाँ बदल रही हैं!!.........और वह भी घरों में रह कर !!<br /><br />शत प्रतिशत सहमत!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-48817516290868690682009-05-04T02:43:00.000-07:002009-05-04T02:43:00.000-07:00हमारी स्क्रीन पर आपके ब्लॉग में सिर्फ बिंदियाँ नजर...हमारी स्क्रीन पर आपके ब्लॉग में सिर्फ बिंदियाँ नजर आ रही हैं , कुछ अन्य ब्लॉग पर भी ऐसा होता है ऐसा क्यों है समझ नहीं आता बहरहाल लोकसभा टीवी पर कविता आने की बहुत बहुत बधाई.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04324343425226285486noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8754430090329533537.post-6439475207125971292009-05-04T01:39:00.000-07:002009-05-04T01:39:00.000-07:00बधाई ! 'लिखने से कुछ बदलेगा कि नहीं' ये तो नहीं प...बधाई ! 'लिखने से कुछ बदलेगा कि नहीं' ये तो नहीं पता. क्योंकि पढ़कर लोग कहाँ बदल पाते हैं ! जो भी हो आपकी रचना पसंद आई. और इस सोच को छोड़कर आपको सतत लिखना चाहिए.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com