शुक्रवार, 18 मार्च 2011

फोटो मय हो उठता ब्लॉग



































अभिषेक ओझा आए, लेकिन हम उन्हें घर में रखे होने के बाद भी कौड़ी नहीं दिखा पाए। और ये अपने कोलकाता वाले शिव कुमार मिश्र जी हैं जिनसे मुन्नी की बदनामी देखी नहीं जाती। प्रमोद जी कैमरे से दूर रह गए। बेटे मानस ने शिव जी कम-कम देर की दो मुलाकातें कीं। इम्तहान के झमेले में थे वे। लेकिन भानी वहीं मडराती रहीं।
अनिता कुमार जी पढ़ाने में लगीं थीं सो नहीं आ पाईं। युनूस भाई ममता के साथ आए और अक्सर विविधभारती की ओर देखते रहे। उधर देखते समय की एक फोटो यहाँ है। घुघूती जी घर बदलने में उलझी थीं। बोधिसत्व और अभिषेक ने कंधवत फोटो खिंचाई। हम तीन अर्थात मैं, ममता जी और रवीजा जी ने भी एक ग्रुप बना कर अलग थोड़ी गप्प की। वहाँ हुई बहसें यहाँ नही छाप रही हूँ। कि किसने किसे कैसा कवि लेखक माना किसे नहीं माना। यह अपनी पसंद का मामला है।







8 टिप्‍पणियां:

Shiv ने कहा…

बहुत ख़ुशी हुई आपसब से मिलकर. भानी और मानस से मिलकर. पछतावा इस बात का है कि मैं शुक्रवार को नहीं पहुँच सका नहीं तो बाकी सब से भी मुलाकात हो जाती.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यही रंगत जमी रहे,मेल जोल की।

rashmi ravija ने कहा…

तस्वीरें तो बहुत बढ़िया आई हैं...मानस इतना बड़ा हो गया है....हम तो दोनों बच्चों से मिल ही नहीं पाए...
बोधि जी ने अपनी बनाई चाय की तस्वीर तो ले ली.....पर आपके बनाए इडली..पोहे को कट कर दिया....not fair :)

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

बहुत खुशी हुई आप सब को देखकर ..
मेरे स स्नेह नमस्ते ..
और २ बातें बेहद पसंद आयीं
१ ] दीवार पे टंगे महाकवियों के चित्र और
२ ] ' कंधवत शब्द का प्रयोग --
साहित्यिक रुझान और घर का माहौल देख रही हूँ
और आपकी सुखी गृहस्थी के लिए मंगल कामनाएं भेज रही हूँ
- लावण्या

राजेश उत्‍साही ने कहा…

होली के पहले ही होली मिलन समारोह की तस्‍वीरें देखकर अच्‍छा लगा।

राज भाटिय़ा ने कहा…

होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

Abhishek Ojha ने कहा…

मैं तो ऑफलाइन ही रहा उस दिन के बाद, आज ही देख पाया ये पोस्ट.
एक दिन का गैप नहीं होता तो शिव भैया से भी मिलना हो जाता. खैर...
ये मुलाकात भी तो ऐसी क्षणिक हुई कि... खैर ...
अगली बार आया तो आराम से बैठते हैं.

आभा ने कहा…

राज जी आप को भी होली शुभकामनाएँ, ओझा जी जरूर इंतजार है..