मैं स्त्री हूँ.....और आज स्त्री शब्द की उत्पति और उसके कुछ पर्याय यहाँ रख रही हूँ...हर देश समाज की तरहशब्दों का भी अपना इतिहास है... वैसे ही स्त्री शब्द का भी इतिहास है ......पर्याय है....वैदिक युग से अब तक.....
स्त्री शब्द के पर्याय
1-मेना-ऋगवेद मे मेना शब्द नारी अर्थ्र का वाचक है। हिमालय की पत्नी
तथा पार्वती की माता का नाम मेना था -
2-नारी-शतपथ ब्राह्राण मे यह शब्द मिलता है नारी शब्द नृ अथवा नर शब्द से बना है......
3-वामा- स्त्री वामा है क्योंकि वह सौंदर्य विखेरती है....वह सौंदर्य रूप है । वामा दुर्गा का भी नाम है।
4-अबला- इस शब्द की रचना नारी के शारीरिक बल को ध्यान मे रख कर की गई है
क्यो कि स्त्री मे पुरूष जैसा बल नहीं होता है।
5-सुंदरी- सुन्दरी का अर्थ है शोभाशालिनी सुन्दरी यानी सुनरी.....सुन्नर....या भोजपुरी में कहें कि पातरि गोरिया सुनर लागे.........
6-प्रमदा- हर्षित-पुलकित स्वभाव होने के कारण स्त्री प्रमदा भी है
7-तरुणी- जवान स्त्री को तरूणी कहते हैं,
8युवती- वह स्त्री जिसे यौवन प्राप्त हो। तुलसी ने कहा है दीप सिखा सम जुवती तन......
9-मोहिनी- मन को हरने वाली स्त्री को मोहिनी कहते हैं...समुद्र मंथन में मिले अमृत के लिए जब युद्ध हुआ तो राक्षसों को ठगने के लिए विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था।
१०-मानिनी- स्त्री के लिए यह शब्द उसके मनो वैज्ञानिक स्वरूप को व्यक्त करता है ,जो स्त्री मान प्रिय होती है वही मानिनी होती है....तो मान मनुहार वाली स्त्रियाँ ही मानिनी है.....।
११-ललना - यह शब्द लालसा इच्छा चाह का द्योतक है जिस स्त्री की इच्छाएँ बहुत प्रबल होंगी वह ललना है।
१२-महिला- इस शब्द मह का अर्थ पूजा है ....पूज्य होने के कारण स्त्री का नाम महिला पडा मह का अर्थ महान भी लिया जाता है – तो आप सब समझ रहे हैं न एक स्त्री कहना चाह रही है कि सभी स्त्रियों को पूजिए क्या जाता है पूजा में.... तो फिर हे पुरूष स्त्री को पूज और आशीष ग्रहण कर उन्नति कर खुश रह । हाँ महिला का अर्थ महेला तथा महलिका भी है .....।
१३-पुत्री- यह पुत्र शब्द का स्त्रीलिंग रूप है पुत्रका या पुत्रिका प्रयोग भी कही-कहीं मिलता है ।
१४-सुता- पुत्री को सुता भी कहते है सु धातु से क्त प्रत्यय करने पर सुता रूप बनता है जिसका अर्थ है उत्पादित या पैदा किया गया
१५-बाला- सोलह वर्ष से कम आयु की युवती को बाला कहते हैं यह शब्द भी कन्या का प्रर्याय है बाला का एक अर्थ अवयस्का या तरूणी भी होता है बाला को बालिका भी कहते हैं
16-दारिका – पुत्री को दारिका इसलिए कहते हैं कि यह पिता के ह्रदयको तोड़ने वाली होती है
१७-दुहिता- कन्या को दुहिता भी कहा जाता है एंगलो सेक्शन का दोहतार ,अंग्रेजी का डाटर, जर्मन का तोखतर ,ग्रीक का धुगदर ये सभी शब्द किसी न किसी रूप मे नाता रखते हैं। बेटी का नाता अंतरर्राष्ट्रीय है....माता की तरह ही...
दुहिता वह भी है...जिसे दुतकारा जाए। यह दुहिता शब्द बहुत विस्तार लिए हुए है पर यहाँ मै हडबडी मे हूँ यहाँ काम भर का.....
१८-मध्यमिका-विवाह योग्य वयस्क कन्या को मध्यमिका या मध्यमा कहते हैं
१९-जामा- जामाका अर्थ भी पुत्री होता है।
२०-दारा- पत्नी के लिए दारा शब्द का प्रयोग संस्कृत मे बहुत किया गया है ....दारा सिंह को पता है या नहीं...इसका अर्थ...। जो पत्नी पुरूष के हृदय को चीरने वाली होती है वह दारा है
२१-रमणा,रमणी- रमणी बिना रमण का सब सुख अधूरा है ...ऐसी मान्यता है।
२२-पत्नी –पत्नी के लिए सहचरी, सखी ,सहचारिणी सहधर्मिणी शब्द का भी व्यवहार
मिलता है। पत्नी सुख दुख की साथी होती है इसलिए सखी है जीवन के हर डगर पर
पुरूष के साथ चलने वाली है इसलिए सहचरी है पुरूष के धर्म कर्म मे साझेदार है इसलिए
सहधर्मिणी है।
२३-गृहणी- पत्नी घर के कार्यभार सभालती है इसलिए गृहणी है गृहणी यानी घरनी....किसी ने कहा है...बिन घरनी घर भूत का डेरा ।
२४-प्रियतमा ,प्रेयसी- पत्नी पुरूष को प्रिय होती है इसलिए उसे प्रियतमा या प्रेयसी का सम्बोधन भी मिलता है।
२५-वधु, वधूका, वधू ,वधूरी-स्त्री पिता के घरसे मान सम्मान , धन सम्पति का पति गृह तक
वहन करती है, इसलिए वघू कहलाती है । वघू शब्द पत्नी ,पुत्रवधू ,युवती इन सभी अर्थों में प्रयुक्त हुआ है । वघूरी शब्द का प्रयोग तरूणी स्त्री के लिए होता है।
इसी तरह स्त्री शब्द के और भी अर्थ प्रर्याय हैं जैसे माता, जननी, जनि, जनिका ,गणिका, मुक्ता,दारिका, विलासिनी, लज्जा ,वेश्या आदि। ऐसे कई और शब्दों का अध्ययन अगले भाग मे ...जारी
..... पढ़ कर कुछ तो कहेंगे। बड़ों को प्रणाम ,छोटो को स्नेह और अपने जैसों
को कैसे हो ,कैसी हो । इस अध्ययन में भूल के लिए क्षमा याचना सहित .........आप सब की आभा
12 टिप्पणियां:
उपयोगी जानकारी दी आपने।
शुक्रिया
सचमुच ज्ञानवर्धक
अगली पोस्ट का इंतजार
जामा से ही जामाता शब्द बना होगा शायद
नारी के जितने रूप , जितने नाम उससे भी ज़्यादा उसके काम ..हमारी शुभकामनाएँ
अरे वाह! कित्ते-कित्ते रूप हैं नारी के।
इतने रूप इतने रोल! और आगे और भी आने वाले है!
इन्तजार रहेगा।
यह दुहिता शब्द बहुत विस्तार लिए हुए है पर यहाँ मै हडबडी मे हूँ यहाँ काम भर का.....
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अगले भाग में इसके बारे मे जानने की इच्छा है ।
यह जानकारी अच्छी रही !
बड़ी रोचक जानकारी दी-इत्ते सारे रुप!!!
कैसी हैं आप?? :)
ज्ञान वर्धक...आगे का इंतजार है...
bahut hi achhi jnkari di hai ane,shukran,nari ke itne shabd hame bhi nahi malum the.very nice post.
सुंदर पोस्ट!!
बहुत ही अर्थपूर्ण जानकारी है, मुझे लगता है अकेले "दुहिता" की व्याख्या पर ही एक अलग पोस्ट बन सकती है।
और हां,खुद ही टाइप और पोस्ट करना सीखने के बाद आपने खूब मन लगाकर पोस्ट किया है यह साफ झलक रहा है।
बधाई!!
ओह अद्भुत । याद रखने और सहेजने लायक़ पोस्ट ।
Wonderful & intellegent post
Warm rgds,
L
तुलसी रचित मानस में श्री राम ने शबरी को भामिनी कहा है. एक यह भी पर्याय है स्त्री का.
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