सब सच सच कह दूँ , ठीक है . ..
इस संसार मे आया कोई भी माया से बच नहीं सकता जब तक की संसार न छूट जाए,।
नहीं कह सकती कि ब्लॉग माया कब तक साथ देगी । यह जरूर है कि जब कभी मन यह सोचता है माई री मै का से कहूँ अपने जिया कि.. फिर खुद ही जवाब भी मिल जाता है कि कहो न ब्लॉग पर, यह अलग बात है कि बिसर भी जाता है बहुत कुछ कई कई बार ......
साल भर पहले बोधि ने अभय से मेरा भी एक ब्लॉग हो, इस बाबत सलाह किया,
और 24 जून 2007 को अभय ने मेरा ब्लॉग अपना घर बनाया।
तय सी बात है कि जो अक्सर घर पर आते है वो अपनों से हो जाते-बड़े छोटे हम उम्र सभी.... इन अपनों से वाद-संवाद के लिए निर्मल आनन्द के अभय तिवारी की आभारी हूँ । अनूप शुक्ल फुरसतिया जो टिप्पणी तो करते ही हैं साथ ही कभी कभार बातचीत में अपनापा और बड़प्पन जता जाते हैं इधर मैं भावुक होने लगती हूँ, समीर भाई जैसे समझदार और व्यवहारिक लोग भी बड़ी खुशकिशमत जन को मिलते हैं तो मानिए पूरा ब्लॉग जगत भाग्य का धनी है। अनुज संजीत त्रिपाठी कहाँ व्यस्त हैं, किसी को पता हो तो मुझे भी बताएँ या हमारी याद उन तक पहुचाएँ ।
ज्ञान भैया ऐसी सीख भरी टीप देकर उत्साह बढ़ाते रहते हैं...शिव जी ...कभी-कभार अपना घर तक आए हैं पर मुझे कोई शिकायत नहीं ये तो अपनी, सहूलियत और समय मिलने की बात है, अनिल रघुराज जी को क्या कहें वो जैसे कभी-कभार टीप देते हैं वैसे ही कभी-कभार उनकी पोस्ट पढ़ कर बरबस कह देती हूँ देखो अनिल जी ने मेरी बात कह दी यह जरूर है कि बोधि बताते हैं कि अनिल भाई बहुत पढ़े लिखे सहज सरल हैं, प्रमोद भाई का जिस दिन काली काफी पीकर रजाई मे मुँह ढक कर रोने का मन कर रहा था उस दिन लगा यह है न मेरा भाई जिसने मेरा संग्रह छपने छपाने की बात की थी, काकेश की कतरने मैं भले ही हमेशा न पढ़ पाऊँ पर पाऱूली की शादी तो मन में बस गई है, ....अफलातून जी की मेरी पोस्ट पर वेलकम टीप नहीं भूल सकती...। बहुत सारे मेरे भाई जिनका नाम भूल रही हूँ क्या करूँ आशा है क्षमा करेगें
इधर आए अरूण आदित्य भी रवानी भरी दिल की बातें लिखते है तो अच्छा लगता है, ..
अभिषेख ओझा गणितीय पोस्ट भर लिखते हैं, उन्हें महगाई को ध्यान में रखते हुए बचत
करना चाहिए ताकि आने वाली के लिए हीरे का नेकलेस ,रिंग वगैरा.......ले जाएं ये सिर्फ सलाह है......आखिर बड़ी हूँ ..। सुभाष निरव मेल करते हैं अच्छा लगता है ...
बहनें तो अपनी है ही जिनमें बड़ी दी लावण्या जी के स्नेह और सीख भरी टीप मीठी लगती है, इंतजार भी। अनिता जी सहित रंजू ,रचना आप सब के मेल का जवाब नहीं दे पाई कारण–मेरे सहित मेरे कम्प्यूटर की तबीयत भी ठीक नहीं थी इस वास्ते मैंने दस
बारी कान पकड़ कर उट्ठक–बैठक कर ली आप सब ने देखा नहीं पर पढ़ तो लिया ही आशा है माफ करेगीं .....करेगीं न .. । रंजू आप अमृता प्रीतम और मीना कुमारी को पसंन्द करती हैं, मै भी और ब्लॉग पर यदि किसी से मीठी जलन है तो वो आप से इतना ही कहूँ की और कुछ ..... । ममता आप की रीटा आइस्क्रीम पोस्ट बाकी खबरिया पोस्ट पढ़ती हूँ ...। बेजी अचानक कहा व्यस्त हो गई..। घुघूती जी उससे भी पहले से ..कहा है आप का इंतजार..। मीनाक्षी मान जाइए नही तो मैं आकर मनाऊँगी...चोखेरबालियाँ तो अपनी सी हैं ही.................
।
20 टिप्पणियां:
इस सब के बावजूद, मुम्बई में आप से मिलना न हुआ !स्वाति को भी उम्मीद थी कि आप आयेंगी। बोधिसत्वजी के साथ काशी में आप से भेंट हो ।
एक साथ इतने सारे लोगों कि चर्चा?
बाप रे बाप..
बस इतना बता दिजिये कि मैं छूट गया या फिर मुझे भूल गई? :)
अफलातून जी यह भी सच है कि स्वाती जी से न मिल पाने का दुखहै, हा जल्दी कोकिश करती हूँ।,
पी डी बस आप छूट गए .।
आभाजी,आपके ब्लोग पर कई दिनों बाद आना हुआ.भानी की बातें पढ पढ कर मुझे मेरी बेटी का बचपन याद आ जाता है.आपकी कवितायें नया ज्ञानोदय में पढ कर बहुत अच्छा लगा,भाई वाली कविता तो आपके इस ब्लोग पर पहले भी सराह चुकी हूं.
सच कहती हूँ रूठना आता ही नहीं..मन बना कर बैठे है अगर फिर मुम्बई गए तो बिन बुलाए मेहमान बन आभा और भानी मानस से तो ज़रूर मिलेंगे.. बोधिजी और उनके अन्य साथी तो बड़े बड़े लोग हैं, उनसे मिलने की तो उम्मीद नहीं लगती. :) :)
हम तीनों सहित बोधि और उनके मित्र सभी आप से आने पर मिलेगें साथ ही एक आप की और एक बेटे वरूण के पसंन्द की डीश बनेगी और भी बहुत कुछ.... साथ होने के मजे होगें ही ,इन्तजार ..
अच्छा बांधा बहुत से लोगों को एक साथ। जो वैसे सब शायद एक साथ न भी आना चाहें!
ब्लाग बर्थडे मुबारक हो। एक पोस्ट केक काटें इस मौके पर। ब्लाग जगत से जुड़े अनुभव बतायें। नियमित लिखें।
हमें पता नहीं था चोखेरवालियों में कान पकड़कर उठ्ठक-बैठक करवाने का रिवाज है।
तमाम पोस्टें आपकी सहज,सरल और सच्ची टाइप की अच्छी कुछ् बहुत अच्छी लगीं। उनकी तारीफ़ फ़िर से करते हुये प्रमोद जी की इच्छा पूरी होने के लिये शुभकामनायें देता हूं कि जल्दी क्या फ़टाक से आपकी किताब छपे। लेकिन उसमें कवियत्री का नाम आभा मिश्रा रहे। आभा बोधिसत्व उत्ता ही अनजाना नाम लगता है जित्ता कि बोधिसत्व के लिये अखिलेश मिश्र। :)
आभा जी इतनी प्यारी मीठी सी बातें मैंने अब पढ़ी :) इस मीठी मीठी जलन को यूँ ही बरकार रखे :) यह तो एक प्यारा सा परिवार है सब अच्छे लगते हैं यहाँ यूँ ही बतियाते हुए ... दिल की बात सुनाते हुए :)
बहुत दिन बाद लिख रही हैं। इतने सारे ब्लॉग साथियों को याद किया, अच्छा लगा। आप तो भानी ने आज क्या किया भी लिखना शुरू करें तो भी न जाने कितनी पोस्ट भर सकती हैं। आशा है अब नियमित लिखती रहेंगी।
घुघूती बासूती
अनूप आप ने सही पहचाना इत्ते लोगों से वार्तालाप,
इसको पोस्ट केक ही माने । दूसरे चोखेरबालियों के यहाँ ऐसा बगड़म सगड़म रीवाज़ नहीं हैं ,पर यदि मै खूद उस जगह होती तो बुरा लग सकता था उसी था को समझ कर ....
ऐसा लग रहा है जैसे सातों मेसे किसी एक आसमान पर चढ़ा रहे है , इत्ती तारीफ कर , नाम तो अब यही तय कर चुकी हूँ ...
वाह, क्या ब्लॉग का जन्म दिन मनाया. मिठाई कहाँ है??
दरअसल, आपकी समस्या यह है कि आप खुद बहुत अच्छी हैं, इसलिये आपको कोई बुरा लगता ही नहीं और न ही कोई आपको बुरा लगेगा. वरना तो आप हमें इत्ता अच्छा कहें, जबकि हम आपको झटका देकर निकल आये कि कल मिलते हैं. :) कौन भला आदमी दूसरी बार पूछता.
इश्वर से यही दुआ है आप एवं बोधि भाई भी ऐसे ही अच्छी बने रहें और हमें कलाकंद वैसे ही खाने मिलते रहें जैसे इस बार आपने खिलवाये थे.
बहुत शुभकामनाऐं.
आभा बहन ,
आपकी पोस्ट
जरा देरी से देख पाई हूँ ..
आजकल मोरारी बापू की रामकथा का पारायण हो रहा है !..
इसलिये विलँब हुआ -
आपको हमेशा मेरी प्यारभरी सीख देती रहुँगी :)..
बडी बहन हूँ तो ये हक्क, खुशी खुशी स्वीकार कर लिया
परिवार सहित, हमेशा खुश रहो,
जीते रहो - दूधो नहाओ पूतो फलो -
बहुत प्यार के साथ स्नेहाशिष - लावण्या
सालगिरह की बधाई।
गलत बात...माना कि मैं टिप्पणी नहीं करता हूं लेकिन घूमने टहलने तो आता ही हूं आपके घर...ठीक है आप स्वार्थी हो जाईये...आपको याद रखूंगा...
अरे.. एक साल हो गया..? वाह ! सालगिरह मुबारक हो..!
ब्लॉगिय बर्थ डे की बधाई, मिठाई संभाल के रखिएगा हमारे हिस्से की।
लो जी आपने याद किया और अपन हाजिर हो गए हैं।
बस खबरों की मारा-मारी में उलझे जी रहे हैं।
पहले बधाई स्वीकारें... दूसरी एक बात समझ में नहीं आई की आपका ये पोस्ट मेरे रीडर में क्यों नहीं आया.. कोई टेक्नीकल गडबडी रही होगी. चिटठा चर्चा से आना हुआ.
आपके सुझाव का ध्यान रखा जायेगा और हाँ गणित के अलावा भी तो लिखता हूँ... लेकिन थोड़ा कम :-)
समीर भाई ,आप ज्यादा चढ़ा रहे हैं और आप तो सिर्फ चाय पी कर चले गए, यह अच्छा लगा की मुझसे मिलने आए, बुरा लगा की भाभी जी से मिलवाया नहीं।
धुधुती जी आप के पोस्ट का इतजार....
रंजू आप के सपने पोस्ट पर कमेंट करने के लिए गई हार कर लौट गई एरर..
ज्ञान जी आप कमेंट करने की पुरानी व्यवस्था रखें हार कर लौटना पड़ता है,
लावण्या दी आप का स्नेहा, आशीष रख
लिया ,प्रणाम दी।
आभा जी,
आप शायद उस युग की बातें कर रहीं हैं,
जब मैं ( हिंदी ब्लागजगत में ) पैदा भी नहीं हुआ था !
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