छठी क्लास की गर्मी की छुट्टियों मे गाँव गई ,
खूब खूब मजे किए । फिर न उसके बाद कभी जाना हुआ
न पहले कभी ।...कुल मिला कर वो मीठी यादें जब तक
रहूगीं तब तक न भुला पाऊँगी ....
उसी यात्रा में सीखा था एक पहाड़ा.....भात का पहाड़ा....आप सब भी पढिए वह पहाड़ा......
भात का पहाड़ा
भात एकम् भात
भात दूनी दाल ,
भात तिया तरकारी
भात चौके चटनी.,
भात पंजे पापङ़
भात छक्के छाछ
भात सते सतुआ
भात अट्ठे अचार
भात नवे नमकीन
भत दहाई दही
तब भोजन सही
10 टिप्पणियां:
ye pahaadaa pehlee hee baar padh kar koi jindagee bhar nahin bhool saktaa.
इतना अच्छा और सही पहाड़ा आपको सिखाया किसने!!
जिसने भी सिखाया हो उसे ही गुरु मान लेना चाहिए!!
bahut khub
होटल और केटरिंग मैनेजमेण्ट के कोर्स में होना चाहिये यह भत-हड़ा!
बहुत अच्छा!
वाह क्या पहाडा है। :)
भतहड़ा सही है. सतुए का परौठा दबाके खाते हुए याद करना रहता तो ज़्यादा अच्छी बात होती.
बहुते स्वादिष्ट भतुआ पहाडा है जी...
--उड़न्तुलाल समीर :)
इसे कहते हैं विशुध्ध भारतीय उर्जा से रचा गया सुरुचिपूर्ण " भात भोजं" -
- बहुत अनोखा लगा आभा जी !
ऐसी बातें हों तो और बताएं --
स्नेह,
-लावण्या
बड़िया पहाड़ा है जी हम को तो चार तक ही आता था, खिचड़ी के चार यार- दही, पापड़, घी, अचार्॥चलिए आप से आगे का भी सीख लिया
सुंदर. बहुत अच्छा लगा. पर क्या अब भी पहाढ़ पर ऐसा भोजन मिलेगा?
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