गुरुवार, 15 मई 2008

गिलास को भी पसीना आता है

वैसे तो भानी को गर्मी बिलकुल पसंन्द नहीं और मैं भी उसे दोपहर को हाल यानी लीविंग रूम मे नहीं रहने देती हाल से अंदर के कमरे में ले जाने का तरीका है लसीब.....
मैंने उसे लस्सी पीने के लिए दिया ,हाँ भानी लस्सी को लसीब बोलती है और हम सब उसके मुहँ से लसीब ही सुनना चाहते है...भानी का गुल्लक रसगुल्ला है...वो पैसे रसगुल्ले में रखती हैं...कंटाप मारने को कंटाल मारना कहती हैं...उनकी बात न मानी जाए तो सच में कंटाल मारने लगी हैं...
कल की लसीब कुछ ज्यादा ही ठंन्डी थी ।
मैं.उसको लसीब देकर अन्दर के कमरे मे चली गई यह कह कर कि तुम रहो गरमी में, मैं अन्दर आराम से सोऊँगी दरवाजा स्भाविक रूप से बिना लाक के ही था ताकि भानी जब चाहे अन्दर आ जाएँ.... ।
भानी अन्दर तो नहीं आई बल्कि जोर जोर से आवाज लगाने लगीं मुझे लगा क्या हुआ मेरी .बेटी को मैं दौड़ कर उसके पास आई क्या हुआ
भानी कहने लगी मम्मा मुझे तो खाली गरमी लग रही है और ग्लास इतनी
ठंडी है फिर इसे पसीना क्यों आ रहा है......
मानस को जब पानी पीना होता है भानी से गिलास का पसीना दिखाने को कहता है और भानी दौड़ कर कई गिलास भर लाती हैं...मानस का काम हो जाता है
भानी कई दिनों से गिलास के पसीने का आनंद ले रही हैं... और सब को दिखा रही हैं....देखो गिलास का पसीना ।

18 टिप्‍पणियां:

Sanjeet Tripathi ने कहा…

चो क्यूट!!


मस्त रहे भानी अपनी मस्ती में!!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आदमी और गिलास में यही फर्क है। आदमी का पसीन अंदर से और गिलास का पसीना हवा से आता है।

PD ने कहा…

so sweet.. :)
meri bhanji kal 4 saal ki ho gayi.. jab bhi bhaani ki baate padhta hun, uski yad aati hai.. kal jo maine usase baate ki use jaldi hi main podcast karke apne chitthe par laga dunga.. :)

VIMAL VERMA ने कहा…

भानी की बातें बहुत प्यारी हैं.....भानी के बारे में ऐसे ही और भी बहुत कुछ बताते रहियेगा...पर गिलास को पसीना आता है सुनकर मज़ा गया...आप लिखते रहिये अपने और भानी के बारे में....

अनिल रघुराज ने कहा…

बालपन के यही कुतूहल तो ज्ञान का माध्यम बन जाते है। रोचक प्रसंग है।

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

भानी की मासूमियत हमेसा ऐसे ही बनी रहे

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है। गिलास को पसीना- एक दम नई कल्पना।

Abhishek Ojha ने कहा…

दिलचस्प मासूमियत !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

भानी बिटिया के सँग हम भी लसीब पियेँगेँ और ग्लास के पसीने छूटते देखेँगे :-)
बहुत प्यारी बिटिया है :)
उसे मेरे आशिष व स्नेह,
- लावण्या

Udan Tashtari ने कहा…

बच्चों की बातें-कितनी प्यारी!!

ghughutibasuti ने कहा…

:)वाह !
घुघूती बासूती

विजयशंकर चतुर्वेदी ने कहा…

'उसी से ठंडा उसी से गरम'. चलिए सिद्धांतदाता की बात नहीं करते हैं!

अनूप शुक्ल ने कहा…

वाह!

Rajesh Roshan ने कहा…

बहुत ही प्यारा

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

ग्लास को पसीना! विज्ञान के चक्कर में इतने सीधे ढ़ंग से सोचा ही नहीं हमने!

pallavi trivedi ने कहा…

सचमुच बच्चे ही इतनी प्यारी बातें कर सकते हैं.....और भी बताइए भानी की मस्ती के बारे में..

डॉ .अनुराग ने कहा…

आपके ये खूबसूरत आइने जिंदगी के चेहरे पर एक मुस्कान दे जाते है

Kath Pingal ने कहा…
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