वैसे तो भानी को गर्मी बिलकुल पसंन्द नहीं और मैं भी उसे दोपहर को हाल यानी लीविंग रूम मे नहीं रहने देती हाल से अंदर के कमरे में ले जाने का तरीका है लसीब.....
मैंने उसे लस्सी पीने के लिए दिया ,हाँ भानी लस्सी को लसीब बोलती है और हम सब उसके मुहँ से लसीब ही सुनना चाहते है...भानी का गुल्लक रसगुल्ला है...वो पैसे रसगुल्ले में रखती हैं...कंटाप मारने को कंटाल मारना कहती हैं...उनकी बात न मानी जाए तो सच में कंटाल मारने लगी हैं...
कल की लसीब कुछ ज्यादा ही ठंन्डी थी ।
मैं.उसको लसीब देकर अन्दर के कमरे मे चली गई यह कह कर कि तुम रहो गरमी में, मैं अन्दर आराम से सोऊँगी दरवाजा स्भाविक रूप से बिना लाक के ही था ताकि भानी जब चाहे अन्दर आ जाएँ.... ।
भानी अन्दर तो नहीं आई बल्कि जोर जोर से आवाज लगाने लगीं मुझे लगा क्या हुआ मेरी .बेटी को मैं दौड़ कर उसके पास आई क्या हुआ
भानी कहने लगी मम्मा मुझे तो खाली गरमी लग रही है और ग्लास इतनी
ठंडी है फिर इसे पसीना क्यों आ रहा है......
मानस को जब पानी पीना होता है भानी से गिलास का पसीना दिखाने को कहता है और भानी दौड़ कर कई गिलास भर लाती हैं...मानस का काम हो जाता है
भानी कई दिनों से गिलास के पसीने का आनंद ले रही हैं... और सब को दिखा रही हैं....देखो गिलास का पसीना ।
18 टिप्पणियां:
चो क्यूट!!
मस्त रहे भानी अपनी मस्ती में!!
आदमी और गिलास में यही फर्क है। आदमी का पसीन अंदर से और गिलास का पसीना हवा से आता है।
so sweet.. :)
meri bhanji kal 4 saal ki ho gayi.. jab bhi bhaani ki baate padhta hun, uski yad aati hai.. kal jo maine usase baate ki use jaldi hi main podcast karke apne chitthe par laga dunga.. :)
भानी की बातें बहुत प्यारी हैं.....भानी के बारे में ऐसे ही और भी बहुत कुछ बताते रहियेगा...पर गिलास को पसीना आता है सुनकर मज़ा गया...आप लिखते रहिये अपने और भानी के बारे में....
बालपन के यही कुतूहल तो ज्ञान का माध्यम बन जाते है। रोचक प्रसंग है।
भानी की मासूमियत हमेसा ऐसे ही बनी रहे
अच्छा लिखा है। गिलास को पसीना- एक दम नई कल्पना।
दिलचस्प मासूमियत !
भानी बिटिया के सँग हम भी लसीब पियेँगेँ और ग्लास के पसीने छूटते देखेँगे :-)
बहुत प्यारी बिटिया है :)
उसे मेरे आशिष व स्नेह,
- लावण्या
बच्चों की बातें-कितनी प्यारी!!
:)वाह !
घुघूती बासूती
'उसी से ठंडा उसी से गरम'. चलिए सिद्धांतदाता की बात नहीं करते हैं!
वाह!
बहुत ही प्यारा
ग्लास को पसीना! विज्ञान के चक्कर में इतने सीधे ढ़ंग से सोचा ही नहीं हमने!
सचमुच बच्चे ही इतनी प्यारी बातें कर सकते हैं.....और भी बताइए भानी की मस्ती के बारे में..
आपके ये खूबसूरत आइने जिंदगी के चेहरे पर एक मुस्कान दे जाते है
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