एक पुरानी कविता
मेरे पास एक फोटो है
मेरे बचपन की पहचान
जब तक रही मैं माँ के साथ
वह अक्सर दिखाती मुझे फोटो
कहती यह तुम हो और यह गुड्डू
तुम्हारा भाई जो नहीं रहा।
माँ अक्सर रोती इस फोटो देख कर
जबकि फोटो में हम भाई-बहन
हँसते थे बेहिसाब,
हालांकि भाई के साथ होने या हँसने की
मुझे कोई याद नही है।
यह फोटो मैं ले आई मायके से ससुराल
छिपा कर सबसे,
विदा होने के पहले रखा मैंने इसे किसी-किसी तरह
अपने बक्से में,
जब घर के लोग मुझे लेकर भावुक होकर रो-रो पड़ते थे।
बाद में माँ ने मुझसे पूछा कि
वह गुड्डूवाली फोटो है क्या तुम्हारे पास,
यहाँ मिल नहीं रही है।
मैं चुप रही
फिर बोली
नहीं है वह फोटो मेरे पास ।
माँ ढूँढती है
अब भी घर का एक एक संदूक और हर एक एलबम
पर यह फोटो नहीं मिलती उसे।
२३ जुलाई 2001
नोट- पिछले कई दिनों से घर में खोज रही हूँ.....पर में भाई वह फोटो कहीं नहीं मिल रही है...
20 टिप्पणियां:
अद्भुत । आप अपनी कवितायें नियमित लिखें।
सुंदर ...भावुक अभिव्यक्ति...
अच्छी कविता. कृपया लगातार लिखें!
बहुत मर्मस्पर्शी!
आभा जी,
आपके दिव्य स्नेह की छवि ,
इस कविता द्वारा देख रहे हैँ -
कविता का जन्म,
ऐसे सच्चे रीश्तोँ से ही सँभव है -
- लावण्या
बहुत उम्दा-भावुक रचना.
कुछ तस्वीरें जो दिल पर अंकित हो जाती हैं
हमने देखा है, अक्सर खो जाती हैं
-याद बनकर जीवन भर रुलाती हैं.
सच है, एक अद्भुत रचना है. शुभकामनाऐं.
बड़ी बढिया पढ़ने की - सच में अद्भुत - थोड़ी खाली थोड़ी भरी - साभार
सच में कई यादे दिल में बस जाती है सुंदर रचना आभा जी ..
माँ ढूँढती है
अब भी घर का एक एक संदूक और हर एक एलबम
पर यह फोटो नहीं मिलती उसे।
bahut khoob......seedhi dil ki baat likh di aapne.
मर्मस्पर्शी!
अक्सर आपकी भावुक कविताएं, यूं लगती है जैसे उनमें आंसू का खारापन भी शामिल हो।
:)
बहुत अच्छी कविता, भावुक व मर्मस्पर्शी
पढ़ते थे कविता - भाव की परिणति होती है, यह इस कविता में जाना जा सकता है।
गहरी! अति गहरी!!!
जीवन की सच्चाई और अनुभव को इतनी सुन्दरता से कविता मे उतारने के लिए बधाई.
और कविता पढ़ कर कुछ यादें ताज़ा हो गई.
आंखो मे मे कुछ महसूस होने लगा है.
बहुत ही स्पर्शी कविता
जीवन की सच्चाई और अनुभव को इतनी सुन्दरता से कविता मे उतारने के लिए बधाई.
और कविता पढ़ कर कुछ यादें ताज़ा हो गई.
आंखो मे मे कुछ महसूस होने लगा है.
बहुत ही स्पर्शी कविता
बहुत भावुक.
बहुत सच्ची....बहुत प्यारी....आपकी तरह
मेरी दीदी भी मेरी फोटो ले गयी थी.. अभी भी संभाल कर रखा है.. मुझे यकीन है हमेशा संभाल कर रखेगी.. आपने सेंटी कर दिया जी..
दिल से भावनाओं से भरी हुई
सपने सतरंगी समर्पण बहु रंगी
जीवन के हर एक क्षण
दर्पण के लघु तम कण
टूट टूट जाते हैं
हर कण की क्षण स्मृति
हर क्षण की कण स्मृति
बाकी रह जाती है
मार्मिक रचना के लिए आभार
kya likhti hai aap
pahli baar aapko padha
aajkal padhne ki bookh lagi hai mujhe
sach mai apko roj har baar aur baar bar padhna chahunga
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