आज कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी का जन्म दिन है। पढ़िए उनकी दो कविताएँ।
पिछड़ा आदमी
जब सब बोलते थे
वह चुप रहता था,
जब सब चलते थे
वह पीछे हो जाता था,
जब सब खाने पर टूटते थे
वह अलग बैठा टूँगता रहता था,
जब सब निढाल हो सो जाते थे
वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था
लेकिन जब गोली चली
तब सबसे पहले
वही मारा गया।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
गोली खाकर
एक के मुँह से निकला -
'राम'।
दूसरे के मुँह से निकला-
'माओ'।
लेकिन तीसरे के मुंह से निकला-
'आलू'।
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट है
कि पहले दो के पेट
भरे हुए थे।
3 टिप्पणियां:
आभार आपका इस प्रस्तुति के लिये इस दिवस पर. ऐसे ही अवतरित होते रहें. इन्तजार रहेगा.
दोनो ही कवितायें बेजोड़ हैं
इन कविताओं को हम तक लाने का बहुत शुक्रिया..
आज अचानक आप के ब्लॉग पर आना हुआ और सच मानिए आप की लेखनी से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ ! आप की सारी कवितायेँ अत्यन्त प्रभावशाली हैं ! भविष्य मैं भी इसी तरह की लाजवाब रचनाएं देने का सिलसिला बनाए रखें.
नीरज
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