शुक्रवार, 28 मार्च 2008

नारी तेरे कितने रूप, कितने नाम

मैं स्त्री हूँ.....और आज स्त्री शब्द की उत्पति और उसके कुछ पर्याय यहाँ रख रही हूँ...हर देश समाज की तरहशब्दों का भी अपना इतिहास है... वैसे ही स्त्री शब्द का भी इतिहास है ......पर्याय है....वैदिक युग से अब तक.....

स्त्री शब्द के पर्याय

1-मेना-ऋगवेद मे मेना शब्द नारी अर्थ्र का वाचक है। हिमालय की पत्नी
तथा पार्वती की माता का नाम मेना था -
2-नारी-शतपथ ब्राह्राण मे यह शब्द मिलता है नारी शब्द नृ अथवा नर शब्द से बना है......
3-वामा- स्त्री वामा है क्योंकि वह सौंदर्य विखेरती है....वह सौंदर्य रूप है । वामा दुर्गा का भी नाम है।
4-अबला- इस शब्द की रचना नारी के शारीरिक बल को ध्यान मे रख कर की गई है
क्यो कि स्त्री मे पुरूष जैसा बल नहीं होता है।
5-सुंदरी- सुन्दरी का अर्थ है शोभाशालिनी सुन्दरी यानी सुनरी.....सुन्नर....या भोजपुरी में कहें कि पातरि गोरिया सुनर लागे.........
6-प्रमदा- हर्षित-पुलकित स्वभाव होने के कारण स्त्री प्रमदा भी है
7-तरुणी- जवान स्त्री को तरूणी कहते हैं,
8युवती- वह स्त्री जिसे यौवन प्राप्त हो। तुलसी ने कहा है दीप सिखा सम जुवती तन......
9-मोहिनी- मन को हरने वाली स्त्री को मोहिनी कहते हैं...समुद्र मंथन में मिले अमृत के लिए जब युद्ध हुआ तो राक्षसों को ठगने के लिए विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था।
१०-मानिनी- स्त्री के लिए यह शब्द उसके मनो वैज्ञानिक स्वरूप को व्यक्त करता है ,जो स्त्री मान प्रिय होती है वही मानिनी होती है....तो मान मनुहार वाली स्त्रियाँ ही मानिनी है.....।
११-ललना - यह शब्द लालसा इच्छा चाह का द्योतक है जिस स्त्री की इच्छाएँ बहुत प्रबल होंगी वह ललना है।
१२-महिला- इस शब्द मह का अर्थ पूजा है ....पूज्य होने के कारण स्त्री का नाम महिला पडा मह का अर्थ महान भी लिया जाता है – तो आप सब समझ रहे हैं न एक स्त्री कहना चाह रही है कि सभी स्त्रियों को पूजिए क्या जाता है पूजा में.... तो फिर हे पुरूष स्त्री को पूज और आशीष ग्रहण कर उन्नति कर खुश रह । हाँ महिला का अर्थ महेला तथा महलिका भी है .....।
१३-पुत्री- यह पुत्र शब्द का स्त्रीलिंग रूप है पुत्रका या पुत्रिका प्रयोग भी कही-कहीं मिलता है ।
१४-सुता- पुत्री को सुता भी कहते है सु धातु से क्त प्रत्यय करने पर सुता रूप बनता है जिसका अर्थ है उत्पादित या पैदा किया गया
१५-बाला- सोलह वर्ष से कम आयु की युवती को बाला कहते हैं यह शब्द भी कन्या का प्रर्याय है बाला का एक अर्थ अवयस्का या तरूणी भी होता है बाला को बालिका भी कहते हैं
16-दारिका – पुत्री को दारिका इसलिए कहते हैं कि यह पिता के ह्रदयको तोड़ने वाली होती है
१७-दुहिता- कन्या को दुहिता भी कहा जाता है एंगलो सेक्शन का दोहतार ,अंग्रेजी का डाटर, जर्मन का तोखतर ,ग्रीक का धुगदर ये सभी शब्द किसी न किसी रूप मे नाता रखते हैं। बेटी का नाता अंतरर्राष्ट्रीय है....माता की तरह ही...
दुहिता वह भी है...जिसे दुतकारा जाए। यह दुहिता शब्द बहुत विस्तार लिए हुए है पर यहाँ मै हडबडी मे हूँ यहाँ काम भर का.....
१८-मध्यमिका-विवाह योग्य वयस्क कन्या को मध्यमिका या मध्यमा कहते हैं
१९-जामा- जामाका अर्थ भी पुत्री होता है।
२०-दारा- पत्नी के लिए दारा शब्द का प्रयोग संस्कृत मे बहुत किया गया है ....दारा सिंह को पता है या नहीं...इसका अर्थ...। जो पत्नी पुरूष के हृदय को चीरने वाली होती है वह दारा है
२१-रमणा,रमणी- रमणी बिना रमण का सब सुख अधूरा है ...ऐसी मान्यता है।
२२-पत्नी –पत्नी के लिए सहचरी, सखी ,सहचारिणी सहधर्मिणी शब्द का भी व्यवहार
मिलता है। पत्नी सुख दुख की साथी होती है इसलिए सखी है जीवन के हर डगर पर
पुरूष के साथ चलने वाली है इसलिए सहचरी है पुरूष के धर्म कर्म मे साझेदार है इसलिए
सहधर्मिणी है।
२३-गृहणी- पत्नी घर के कार्यभार सभालती है इसलिए गृहणी है गृहणी यानी घरनी....किसी ने कहा है...बिन घरनी घर भूत का डेरा ।
२४-प्रियतमा ,प्रेयसी- पत्नी पुरूष को प्रिय होती है इसलिए उसे प्रियतमा या प्रेयसी का सम्बोधन भी मिलता है।
२५-वधु, वधूका, वधू ,वधूरी-स्त्री पिता के घरसे मान सम्मान , धन सम्पति का पति गृह तक
वहन करती है, इसलिए वघू कहलाती है । वघू शब्द पत्नी ,पुत्रवधू ,युवती इन सभी अर्थों में प्रयुक्त हुआ है । वघूरी शब्द का प्रयोग तरूणी स्त्री के लिए होता है।

इसी तरह स्त्री शब्द के और भी अर्थ प्रर्याय हैं जैसे माता, जननी, जनि, जनिका ,गणिका, मुक्ता,दारिका, विलासिनी, लज्जा ,वेश्या आदि। ऐसे कई और शब्दों का अध्ययन अगले भाग मे ...जारी

..... पढ़ कर कुछ तो कहेंगे। बड़ों को प्रणाम ,छोटो को स्नेह और अपने जैसों
को कैसे हो ,कैसी हो । इस अध्ययन में भूल के लिए क्षमा याचना सहित .........आप सब की
आभा

शनिवार, 8 मार्च 2008

बहनें

आज

आज महिला दिवस पर पर मन में बहुत कुछ चल रहा है,
क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच समय बीत रहा है,
इसी बीतने में हर दिवस हर त्यॊहार की तरह यह भी निकल न जाए.
नही़ नहीं- मैं . मैं लिखूँगी अपनी एक कविता


बहनें

बहनें होती हैं, ,
अनबुझ पहेली सी
जिन्हें समझना या सुलझान इतना आसान नही. हॊता जितना लटों
की तरह उलझी हुई दुनिया को ,

इन्हें समझते और सुलझाते .......में
विदा करने का दिन आ जाता है न जाने कब
इन्हें समझ लिया जाता अगर वो होती ......
कोई बन्द तिजोरी.......
जिन्हे छुपा कर रखते भाई या कोई......
देखते सिर्फ.....
या ....कि होती .....
सांझ का दिया .....
जिनके बिना ......
न होती कहीं रोशनी....

पर नही़
बहने तो पानी होती है
बहती हैं.... इस घर से उस घर
प्यास बुझाती
जी जुड़ाती......किस किस का
किस किस के साथ विदा
हो जाती चुप चाप .....

दूर तक सुनाई देती उनकी
रुलाई......
कुछ दूर तक आती है....माँ
कुछ दूर तक भाई
सखियाँ थोड़ी और दूर तक
चलती हैं रोती धोती
......
फिर वे भी लौट जाती हैं घर
विदा के दिन का
इंतजार करने.....
इन्हें सुलझाने में लग जाते हैं...
भाई या कोई.......।

सोमवार, 3 मार्च 2008

भात एकम् भात

छठी क्लास की गर्मी की छुट्टियों मे गाँव गई ,
खूब खूब मजे किए । फिर न उसके बाद कभी जाना हुआ
न पहले कभी ।...कुल मिला कर वो मीठी यादें जब तक
रहूगीं तब तक न भुला पाऊँगी ....
उसी यात्रा में सीखा था एक पहाड़ा.....भात का पहाड़ा....आप सब भी पढिए वह पहाड़ा......

भात का पहाड़ा


भात एकम् भात
भात दूनी दाल ,
भात तिया तरकारी
भात चौके चटनी.,
भात पंजे पापङ़
भात छक्के छाछ
भात सते सतुआ
भात अट्ठे अचार
भात नवे नमकीन
भत दहाई दही
तब भोजन सही