कितनी कितनी बातें जो आप सब से बांटना चाहती थी पर
रोजमर्रा की व्यस्तता के बीच बातें आईं और गईं, ऐसा मेरे साथ ही नहीं
सभी के साथ होता है ।बेचैनी होती है जब हम चाह कर भी अपनी बात कह नहीं पाते, पर
खुशी होती है तब जब मेरी बात कोई और कह दे। मैं या हम और बेफिक्र हो जाते हैं
कि चलो लोगों तक बात पहुँच गई । अब फिर फिर एक ही बात क्यों । इस उहा-पोह में मैंने देखा अरे आज महीने का आखिरी दिन और एक पोस्ट, बस यही वजह लिख रही हूँ । हालाकि इस बात को मैं ठीक से समझती हूँ कि जहाँ चाह है वहा राह है । अरे वह पीने वाली गरमा गरम चाह नहीं ।
इसी चाह में मैं हरिवंश राय बच्चन की 102 वी जयन्ती के अवसर पर भारती विद्या भवन (चर्नी रोड)पहुँची । वहाँ सभागार में पहुँचते ही सभी दर्शको को नवनीत का बच्चन विशेषांक बांटा गया । दस पन्द्रह मिनट समारोह के इन्तजार के बीच मैंने नवनीत की प्रति उलट पुलट देखी, सोलहवें पेज पर फोटो में हरिवंश राय बच्चन, सुमित्रा नन्दन पंत और पं.नरेद्र शर्मा जी दिखे । नरेद्र जी को देख कर लावण्या जी याद आती रहीं ....
कार्यक्रम शुरू हुआ अमिताभ सपरिवार मंच पर थे जिसमें जया जी, अजिताभ, अभिषेक, ऐश्वर्या, श्वेता, नम्रता, नैना सहित उनकी पारिवारिक मित्र पुष्पा भरती जी भी थीं।
अमिताभ जी ने बीजू शाह के संगीत संगत में हरिवंश जी की कविताओं का पाठ किया। नाच घर और बुद्ध कविता जो पहले भी पढ़ चुकी थी अमिताभ जी से सुनकर फिर प्रिय कर लगी। जया और अमिताभ ने अपना गान मुझे दे दो साथ साथ पढ़ा । फिर बारी बारी से बच्चन परिवार के सभी बच्चों ने छोटी छोटी कविताएं पढ़ीं । जो बच्चन जी ने इन बच्चों के लिए ही लिखी थी।
सभी श्रोता मंत्र मुग्ध सुन रहे थे जिसमें पुष्पा जी ने कुछ संस्मरण सुनाए। साथ ही पुष्पा जी ने यह भी बताया कि वह कक्षा 2 से 12वीं तक अपने स्कूल में हरिवंश राय बच्चन बन कर काव्य पाठ करती थीं और हर बार उन्हें फस्ट प्राइज मिलती कभी सेकेंड नहीं मिली ।पुष्पा जी ने हरिवंश राय बच्चन के जैसे बाने को पाने की जद्दोजहदो को भी बयान किया ।
बच्चन परिवार को मंच पर बैठे देख रही थी, सुन रही थी, सुनते हुए यह सोच रही थी, कि हरिवंश राय बच्चन खुद को कायस्थ (शूद्र?) कहते हैं ।यह तो उनकी बात है, पर सच तो यह लगता है कि वह ही नहीं उनका पूरा कुनबा अपनी करनी से कर्म श्रेष्ठ -कुल श्रेष्ठ है । कर्म ही जाति है
हाँ सभी इन्हें चुपचाप देखते सुनते रहे । सभी के लिए यह सुखद होगा कि सपरिवार एक साथ दिखें । सुख किसे अच्छा नहीं , बच्चन परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ संस्कार भी दिखा । जहाँ अपने बाबू जी को इस तरह से याद किया गया ।और हम भी सहभागी रहे...मेरा मन हुआ इस सुखद शाम को आप सब से बाँटू.. ।बाप तो, बेटा बाप रे बाप, उनका भी बेटा अभिषेक -बंदे ने उन तीन घंटो में ही अपने परिवार और बड़ो के साथ अपने आदर को छोटी छोटी हरकतों से बताया । तेजी जी , जया जी ने परिवार को कुनबा बना कर दिखाया है । अब बारी विश्व सुन्दरी ऐश्वर्या की जो अपने परिवार को और किस ऊँचे मुकाम तक ले जाती हैं। उम्मीद है बड़े कलाकार का बड़ा परिवार ऐसे ही बड़ा बना रहे..........