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रविवार, 11 जनवरी 2009
ये तहरी खिचड़ी की फैशनेबल बहन है
लावण्या दी आप ने मेरी पिछली पोस्ट पर तहरी क्या है और कैसे बनाते हैं यह सवाल किया था। मै जब बता रही थी तभी हमारा लैपटॉप नखरे करने लगा ....करती क्या आजीज आकर सट डाउन करना पड़ा । बड़ी दी की आज्ञा पालन करना था सो आज कर रही हूँ ..
1-तहरी – वह व्यंजन जिसमें चावल के साथ सब्जियों को मिला कर पकाया जाए,
2-दूसरी तहरी – पेठे की बरी और चावल की खिचड़ी को भी तहरी कहते हैं....।
लगता है इस तहरी का सहरी से कोई नाता है। सहरी आप जानती ही होंगी। सहरी सहर शब्द से बना है। सहर यानी प्रात: काल । रमजान के दिनों में सहरी खाई जाती है। भोर के कुछ पहले । कहीं कहीं इसे सहरगही भी कहते हैं । कुछ हिस्सों में यह करवा चौथ पर भी खाया जाता है। अब यदि सहरी के हिसाब से देखे तो तहरी तिसरे पहर का खाना हो सकता है । पर यह सहरी के साथ तहरी का नाता महज मेरा अनुमान है। बाकी भाषा विद् जाने।
हम जो तहरी बनाते हैं उसमें चावल के साथ ही उड़द की दाल और सब्जियों को मिला कर तेल-घी और गरम मसाले साथ भुनते हैं। थोड़ी देर के बाद जब सब कुछ थोड़ा हल्का कुर कुरा हो जाए तो पानी और नमक डाल कर पकने देते हैं। कुकर की एक सिटी के बाद तहरी तैयार।
आप कह सकती हैं कि खिचड़ी जहाँ एक साफ सुथरी सिम्पल बहन है वहीं तहरी इतने सारे नखरे करती है । स्वाद बढाने के लिए और मसालों के साथ शुद्ध घी ,दो चार सब्जियाँ, जीरा तेजपत्ता, प्याज-लहसन जो चाहे मिलाते जाएँ स्वाद बढ़ाते जाएँ।
बस ऐसे ही बनाते है हम तहरी.। आप भी बनाएँ और खाएँ खिलाएँ।
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